आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "shama-e-ilm-o-daanish"
नज़्म के संबंधित परिणाम "shama-e-ilm-o-daanish"
नज़्म
जो शम्अ-ए-इल्म-ए-मग़रिब सय्यद ने की थी रौशन
बिखरी हुई हैं जिस की किरनें हर अंजुमन में
फ़ानी बदायुनी
नज़्म
परतव रोहिला
नज़्म
अली-अहमद भी हैं आगाह आदाब-ए-हरम भी हैं
वक़ार-ए-होश भी अज़्मत-फरोज़-ए-इल्म-ओ-दानिश भी
मसूद अख़्तर जमाल
नज़्म
अन-पढ़ था और जाहिल क़ाबिल मुझे बनाया
दुनिया-ए-इल्म-ओ-दानिश का रास्ता दिखाया
अहमद हातिब सिद्दीक़ी
नज़्म
ये भी लाज़िम है कि मत कीजे ज़ियादा गुफ़्तुगू
ताकि अहल-ए-'इल्म-ओ-दानिश में न हों बे-आबरू
जब्बार वासिफ़
नज़्म
वो इल्म में अफ़लातून सुने वो शेर में तुलसीदास हुए
वो तीस बरस के होते हैं वो बी-ए एम-ए पास हुए
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
आदमी को 'अक़्ल-ओ-‘इल्म-ओ-आगही देता है कौन
चाँद को तारों को आख़िर रौशनी देता है कौन
मेहदी प्रतापगढ़ी
नज़्म
थे हकीम-ए-शर्क़ से शैख़-ए-मुजद्दिद हम-कलाम
गोश-बर-आवाज़ सब दानिश-वरान-ए-इल्म-ओ-दीं
शोरिश काश्मीरी
नज़्म
वो जो क़ाज़ी अदालत गवाह ओ सनद इल्म-ओ-दानिश और तहरीर से मुंसलिक इक रिवायत की तहज़ीब थी
वो कहीं खो गई