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नज़्म
तर्जुमान-ए-जज़्बा-ए-अक़्दस तिरी फ़िक्र-ए-रसा
तू रुख़-ए-राज़-ए-हक़ीक़त से उठाता है नक़ाब
बिसमिल देहलवी
नज़्म
सिनान ओ गुर्ज़ ओ शमशीर ओ तबर ख़ंजर नहीं लाज़िम
बस इक एहसास लाज़िम है कि हम बुअदैन हैं दोनों
जौन एलिया
नज़्म
दीद-ए-अक़्दस से हुई ऐन ख़ुशी की तौलीद
ग़ैब से दिल को हुई जज़्ब-ए-वफ़ा की ताकीद
रंगेशवर दयाल सक्सेना सूफ़ी
नज़्म
सीना-ए-इल्म-ए-हक़ीक़त में पनाहें थीं तिरी
अर्श से भी और आगे जल्वा-गाहें थीं तिरी
मोहम्मद सादिक़ ज़िया
नज़्म
सीना-ए-दहर के नासूर हैं कोहना नासूर
जज़्ब है उन में तिरे और मिरे अज्दाद का ख़ूँ
साहिर लुधियानवी
नज़्म
हर भँवर में और हर तूफ़ान में साहिल है तू
सीना-ए-इमरोज़-ओ-फ़र्दा का धड़कता दिल है तू