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नज़्म
दश्त-ए-पुर-ख़ार को फ़िरदौस-ए-जवाँ जाना था
रेग को सिलसिला-ए-आब-ए-रवाँ जाना था
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
चाँद निकला है ब-अंदाज़-ए-दिगर आज की शाम
बारिश-ए-नूर है ता-हद्द-ए-नज़र आज की शाम
अरमान अकबराबादी
नज़्म
मेरी जेबों में तेरे सिक्के खनक रहे हैं
नवा-ए-गुमराह-ए-दश्त-ए-शब के नुजूम तेरी हथेलियों पर चहक रहे हैं