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नज़्म
तिरे लुत्फ़-ओ-अता की धूम सही महफ़िल महफ़िल
इक शख़्स था इंशा नाम-ए-मोहब्बत में कामिल
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
यौम-ए-आज़ादी ने यूँ छिड़का फ़ज़ाओं में गुलाल
गुल्सिताँ से भीनी भीनी ख़ुशबुएँ आने लगीं
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
रक़्साँ चला गया न ग़ज़ल-ख़्वाँ चला गया
सोज़-ओ-गुदाज़ ओ दर्द में ग़लताँ चला गया
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ऐ मुजाहिद ऐ मु'अल्लिम ऐ सुख़नवर ‘अस्र-साज़
हम न भूलेंगे तिरा अंदाज़-ए-फ़न सोज़ ओ गुदाज़
बसंत लखनवी
नज़्म
तेरे नग़्मों में दिल-ए-इंसाँ का है सोज़-ओ-गुदाज़
जिन से अक्सर है इबारत ज़िंदगी की दास्ताँ
जयकृष्ण चौधरी हबीब
नज़्म
वो सोज़-ओ-साज़-ए-मोहब्बत वो पुर-फ़ुसूँ रातें
वो हल्का हल्का तरन्नुम वो जाँ-फ़ज़ा बातें
सिद्दीक़ कलीम
नज़्म
मुझ से आँखें तो मिला ऐ दुश्मन-ए-सोज़-ओ-गुदाज़
तुझ पे क्या अज़दाद की तौहीद का इफ़शा है राज़
जोश मलीहाबादी
नज़्म
तेरी धीमी रौशनी में है निहाँ उल्फ़त का राज़
तेरी हर हर साँस है अफ़साना-ए-सोज़-ओ-गुदाज़
साक़िब कानपुरी
नज़्म
और सुनी बंसी की है बरसों सदा-ए-दिल-नवाज़
दास्तान-ए-दर्द-ए-दिल अफ़साना-ए-सोज़-ओ-गुदाज़
सुरूर जहानाबादी
नज़्म
शाहिद-ए-बज़्म-ए-सुख़न नाज़ूरा-ए-मअ'नी-तराज़
ऐ ख़ुदा-ए-रेख़्ता पैग़मबर-ए-सोज़-अो-गुदाज़