aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sugandh"
सुगंध रात की रानी की जब मचलती हैफ़ज़ा में रूह-ए-तरब करवटें बदलती है
दुल्हन हो जैसे हया की सुगंध से बोझलये मौज-ए-नूर ये भरपूर ये खिली हुई रात
बाग़ में है इक बेले का तख़्ता भीनी है इस बेले की सुगंधऐ कलियो क्यूँ इतने दिनों तुम रक्खे रहीं इसे गोद में बंद
मैं तरस रहा था सुगंध कोतो वो शाख़-ए-गुल सी लचक गई
ये सच है अब आज़ाद हैं हममिट्टी से सुगंध ये आती है
चारों जानिब सर-सुगंध की मालाएँलहराएँगी
रंग और सुगंध आज ढो रहे हैं तुम्हारी यादों की पालकीइस सड़क से इतनी बार गुज़रा हूँ कि आहट को पहचानने लगे हैं कुत्ते
पानी में बसी कूज़ा की सुगंधमरहम ज़ख़्म-ए-जिगर का
तेरी ख़ातिर है जो ज़ंजीर वो सौगंद भी तोड़तौक़ ये भी है ज़मुर्रद का गुलू-बंद भी तोड़
हर ख़्वाब की सौगंद!हर-चंद कि वो ख़्वाब हैं सर-बस्ता ओ रू-बंद
नहीं रहा हरम-ए-दिल में इक सनम बातिलतिरे ख़याल के लात-ओ-मनात की सौगंद
असीर हैं हम-सफ़ीर जब से ख़िज़ाँ चमन में रवाँ-दवाँ हैइस इंतिशार-ए-चमन की सौगंद बाब-ए-ज़िंदाँ हिला के उठना
फ़ारसी की सुघड़ सहेली हैऔर तुर्की के साथ खेली है
वो शोर-बोर थी सब रंग से निपट यक चंदकोई दिलाती है साथिन को यार की सौगंद
इक मौसम मिरे दिल के अंदरइक मौसम मिरे बाहर
ऐ शख़्स तेरे जमाल-ए-जवान की सौगंदधड़क रहा है हमेशा मिरी रगों में तू
बदी भरी ये बोरियाँन जाने कौन मोड़ तक
तुझ से क्या ख़ुश जी है हमाराकितनी सुघड़ क्या काम है प्यारा
लिबास-ए-दहर हैं तेरे लिबास के पैवंदख़ुदा गवाह है सरमाया-दार की सौगंद
इस्टालिन-ओ-लेनिन की क़सम जाम की सौगंदऐ ज़ोहरा-जबीं पिघली हुई आग पिला दे
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