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नज़्म
मेरी महबूब तुझे मेरी मोहब्बत की क़सम
अपनी हल्की सी शराफ़त का इशारा दे दे
ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी
नज़्म
फिर चली है रेल स्टेशन से लहराती हुई
नीम-शब की ख़ामुशी में ज़ेर-ए-लब गाती हुई