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नज़्म
जुम्बिश-ए-मौज-ए-नसीम-ए-सुब्ह का ए'जाज़ देख
ताइर-ए-बे-बाल-ओ-पर की हसरत-ए-परवाज़ देख
मेला राम वफ़ा
नज़्म
क़ौम-ए-आवारा इनाँ-ताब है फिर सू-ए-हिजाज़
ले उड़ा बुलबुल-ए-बे-पर को मज़ाक़-ए-परवाज़
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
नहीफ़-ओ-ज़ार पाबंद-ए-सलासिल बे-ज़र-ओ-बे-पर
है कितनी जाँ-गुदाज़-ओ-दिल-शिकन तस्वीर भारत की
नो बहार साबिर
नज़्म
मोर-ए-बे-पर हाजते पेश-ए-सुलैमाने मबर
रब्त-ओ-ज़ब्त-ए-मिल्लत-ए-बैज़ा है मशरिक़ की नजात
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
परतव रोहिला
नज़्म
बलराज कोमल
नज़्म
क्या ज़माना पे खुले बे-ख़बरी का मिरी राज़
ताइर-ए-फ़िक्र में पैदा तो हो इतनी पर्वाज़
चकबस्त बृज नारायण
नज़्म
दाम बे-दाना का फैलाता है ऐसे जा'ल से
ताइर-ए-दिल आ के ख़ुद फँसता है वो सय्याद है