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हिन्दोस्ताँ

आफ़ताब रईस पानीपती

हिन्दोस्ताँ

आफ़ताब रईस पानीपती

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    गो ख़ाक हो चुका है हिन्दोस्ताँ हमारा

    फिर भी है कुल जहाँ में पल्ला गराँ हमारा

    मुँह तक रहा है अब तक सारा जहाँ हमारा

    है नाम किशवरों में विर्द-ए-ज़बाँ हमारा

    ज़रख़ेज़ है सरासर ये गुलिस्ताँ हमारा

    है ताइर-ए-तिलाई हिन्दोस्ताँ हमारा

    भारत में देखते थे हम सनअतें जहाँ की

    मशहूर थी जहाँ में कारीगरी यहाँ की

    वो बात हिन्दियों ने ग़ैरों के दरमियाँ की

    जिस पर झुकी है गर्दन अम्बोह-ए-सरकशाँ की

    मिलता था इल्म-ओ-फ़न में हम-सर कहाँ हमारा

    है ताइर-ए-तलाई हिन्दोस्ताँ हमारा

    तस्लीम कर रहे हैं एस्पेन और जापाँ

    सब मानते हैं लोहा जर्मन फ़्रांस-ओ-यूनाँ

    अमरीका में है चर्चा इस मुल्क का नुमायाँ

    भारत की सल्तनत पर बर्तानिया है नाज़ाँ

    ऊँचा है आसमाँ से ये आस्ताँ हमारा

    है ताइर-ए-तलाई हिन्दोस्ताँ हमारा

    पर्बत की चोटियाँ हैं दरबाँ हमारे दर की

    दामन में जिस के पिन्हाँ कानें हैं सीम-ओ-ज़र की

    गंग-ओ-जमन पे जिस दम सय्याद ने नज़र की

    सरसब्ज़ वादियों से इस की नज़र सर की

    क्या ग़ैरत-ए-इरम है ये बोस्ताँ हमारा

    है ताइर-ए-तिलाई हिन्दोस्ताँ हमारा

    पैदा किए थे जिस ने अर्जुन कनाद गौतम

    आग़ोश में पले थे जिस की ब्यास-ओ-बिक्रम

    गोदी में जिस की खेले थे भीम राम भीषम

    जिन के सबब से अब तक है हिन्दियों में दम-ख़म

    वो मुल्क-ए-बे-बदल है जन्नत-निशाँ हमारा

    है ताइर-ए-तिलाई हिन्दोस्ताँ हमारा

    स्रोत:

    aaftab-e-watan (Pg. E-41 B-40)

    • लेखक: आफ़ताब रईस पानीपती
      • संस्करण: 1931
      • प्रकाशन वर्ष: 1931

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