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नज़्म
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
मैं ने समझा था कि तू है तो दरख़्शाँ है हयात
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
बुलंदी पर अलग सब से खड़ा ''टावर' ये कहता है
बदलता है ज़माना मेरा अंदाज़ एक रहता है
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
ऐ क़लम क्या कहूँ मैं सेहर-बयानी तेरी
हाल-ए-दिल अपना सुनाता हूँ ज़बानी तेरी
मास्टर बासित बिस्वानी
नज़्म
अलग दुनिया की कारों से मुग़ल की कार है प्यारे
सुना है पिछले दस सालों से ये बीमार है प्यारे