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नज़्म
ज़ालिम को जो न रोके वो शामिल है ज़ुल्म में
क़ातिल को जो न टोके वो क़ातिल के साथ है
साहिर लुधियानवी
नज़्म
कोई तोड़े या न तोड़े मैं ही बढ़ कर तोड़ दूँ
ऐ ग़म-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
सब ठाठ पड़ा रह जावेगा जब लाद चलेगा बंजारा
हर आन नफ़अ' और टोटे में क्यूँ मरता फिरता है बन बन
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
ने मजाल-ए-शिकवा है ने ताक़त-ए-गुफ़्तार है
ज़िंदगानी क्या है इक तोक़-ए-गुलू-अफ़्शार है
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
जो ताक़-ए-हरम में रौशन है वो शम्अ यहाँ भी जलती है
इस दश्त के गोशे गोशे से इक जू-ए-हयात उबलती है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
कभी डाँटो कि मैं इस तरह क्यूँ पैसे उड़ाता हूँ
जिन्हें तुम टोकते थे मैं वो सारे काम करता हूँ
मनोज अज़हर
नज़्म
तोले हुए है तेग़-ओ-सिनाँ हुस्न-ए-बे-नक़ाब
नावक-फ़गन है जल्वा-ए-पिन्हान-ए-लखनऊ
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ज़रा सी उम्र में करते हों मुझ को मुतअस्सिर
मोहल्ले टोले के गुमनाम आदमिय्यों के