aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "umDii"
ढूँढ लेंगी मिरी तरसी हुई नज़रें तुझ कोनग़्मा ओ शेर की उमडी हुई बरसातों में
उमडी है काली घटा दुनिया डुबोने के लिएया चली है बाल खोले राँड रोने के लिए
उमडी है हर इक सम्त से इल्ज़ाम की बरसातछाई हुई हर दाँग मलामत की घटा है
ये लताफ़त, ये नज़ाकत, ये हया, ये शोख़ीसौ दिए जुलते हैं उमडी हुई ज़ुल्मत के ख़िलाफ़
नहीं मुझे इस तरह न देखोकि जैसे नज़रों में रूह तक उमडी आ रही हो
बाज़ार में पानी है गुलज़ार में पानी हैउमडी हुई नदियाँ हैं चढ़ते हुए नाले हैं
किसी आँचल किसी बदली की न उमडी छायान कोई दस्त-ए-सबा था न कहीं बू-ए-हबीब
सभी चीख़ते हैंतू सुल्तान साहिब सरीर आमदी
आँखें हर दम उमडी उमडीपलकें हर दम भीगी भीगी
और हवाएँ चारों तरफ़ से उमडी पड़ी हैं
न गहरी उदासी निगाहों में उमडीनए मुआशरे की
न जाने उस के 'उर्यां आबनूसी जिस्मउमड़ी छातियों में
छा गई फिर आसमाँ पर ऊदी ऊदी सी घटारक़्स करती हैं हवाएँ मुस्कुराती है फ़ज़ा
तुम्हारी अर्जुमंद अम्मी को मैं भूला बहुत दिन मेंमैं उन की रंग की तस्कीन से निमटा बहुत दिन में
कुछ इतने धुँदले साए हैंकुछ उजड़ी माँगें शामों की
तुम्हें भी ज़िद है कि मश्क़-ए-सितम रहे जारीहमें भी नाज़ कि जौर-ओ-जफ़ा के आदी हैं
ये बात समझ में आई नहींऔर अम्मी ने समझाई नहीं
मेरी उजड़ी हुई नींदों के शबिस्तानों मेंतू किसी ख़्वाब के पैकर की तरह आई है
उस उम्र का ग़म सहने दीजेअब अपनी उजड़ी आँखों में
ना इस के हाथ में पैसा हैना इस के अम्मी अब्बू हैं
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