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नज़्म
क़स्र-ए-गीती में उमँड आया है तूफ़ान-ए-हयात
मौत लर्ज़ां है पस-ए-पर्दा-ए-दर आज की रात
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
उमँड आते थे जब अश्क-ए-मोहब्बत उस की पलकों तक
टपकती थी दर-ओ-दीवार से शोख़ी तबस्सुम की
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
झड़ कर रही हैं झड़ियाँ नाले उमँड रहे हैं
बरसे है मुँह झड़ा झड़ बादल घुमंड रहे हैं
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
सब उजला शहर उमँड आया शलवार सजा दस्तार लगा
इस भीड़ के बिफरे तूफ़ाँ में जो डूब गया सो पार लगा
सय्यद ज़मीर जाफ़री
नज़्म
सियह, मार जैसे, चमकते हुए काले बालों
पे ऐसी सपीदी उमँड आएगी कुछ तदारुक नहीं जिस का कोई
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
जिस के हर जुर'ए में मय-ख़ाना उमँड आता था
दस्त-ए-साक़ी में वो साग़र न रहा तेरे बा'द
बिस्मिल सईदी
नज़्म
दिल में हिम्मत हाथ में अपने फ़क़त शोर-ए-अल-अमाँ
बाँध कर वो पुल समुंदर को किया हम ने उबूर