मिर्ज़ा ग़ालिब की ज़मीन पर चंद बेहतरीन ग़ज़लें

मिर्ज़ा ग़लिब ने कई पीढ़ियों

के शायरों को मुतास्सिर किया है| शायर उनके मज़ामीन, उस्लूब और ज़बान से काफ़ी कुछ सीखते रहे | यही वजह है कि शायरों ने उनकी ज़मीन में कई ग़ज़लें कही और अपना ख़िराज पेश किया | हम ऐसी ही चंद ग़ज़लें आपके साथ आपके साथ साझा कर रहे हैं |

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जब वो सूरत नज़र नहीं आती

तिलोकचंद महरूम

इक तू ही नहीं नासिया-फ़रसा मिरे आगे

मुज़फ्फ़र अहमद मुज़फ्फ़र

Jashn-e-Rekhta | 2-3-4 December 2022 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate, New Delhi

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