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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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वबा की नज़्में

वबा अर्थात् महामारी

की स्थितियों का वर्णन करती नज़्में

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मैं अगर क्रोना से मारा गया

वबा के दिनों में मोहब्बत करने वाले लोग

अली साहिल

ला-तहज़नू

वबा-ए-आम से मरने का ख़ौफ़ अपनी जगह

रहमान फ़ारिस

वबा के दिनों में

ज़मीन गूँगी हो रही है

अज्ञात

वबा के दिनों में मौत की रीहरसल

तन्हाई के जूते पहने

सिदरा सहर इमरान

एक नादान नज़्म

हबीब-ए-जाँ

परवीन ताहिर

वबा के दिनों में मोहब्बत

वबा के दिनों में मोहब्बत सलीक़ा-शिआरी सिखाती है

ख़ुमार मीरज़ादा

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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