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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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विदाई पर ग़ज़लें

किसी को रुख़्सत करते

हुए हम जिन कैफ़ियतों से गुज़रते हैं, उन्हें महसूस तो किया जा सकता है लेकिन उन का इज़हार और उन्हें ज़बान देना एक मुश्किल काम है । सिर्फ़ रचनात्मक-अभिव्यक्ति ही इन कैफ़ियतों को पेश कर कर सकती है । यहाँ अलविदा'अ और रुख़्सत की कैफ़ियतों से सर-शार शाइरी का संकलन प्रस्तुत किया जा रहा है ।

Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

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