गिर्या-ओ-ज़ारी पर ग़ज़लें
गिर्या-ओ-ज़ारी आशिक़
का एक मुस्तक़िल का मश्ग़ला है, वो हिज्र में रोता ही रहता है। रोने के इस अमल में आँसू ख़त्म हो जाते हैं और ख़ून छलकने लगता है। यहाँ जो शायरी आप पढ़ेंगे वो एक दुखे हुए और ग़म-ज़दा दिल की कथा है।
का एक मुस्तक़िल का मश्ग़ला है, वो हिज्र में रोता ही रहता है। रोने के इस अमल में आँसू ख़त्म हो जाते हैं और ख़ून छलकने लगता है। यहाँ जो शायरी आप पढ़ेंगे वो एक दुखे हुए और ग़म-ज़दा दिल की कथा है।