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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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परिंदा पर चित्र/छाया शायरी

शायरी अपने जौहर को पेश

करने के लिए हमारे आस-पास के तत्वों की सम्भावनाओं को उपयोग में लाती है । इसलिए जब उर्दू शायरी पंछी को अपना पात्र बनाती है तो ये शायरी में सिर्फ़ परिंदा नहीं रहता बल्कि आज़ादी और बुलंदी आदि का प्रतीक बन जाता है । ये और भी कई स्तर पर ज़िंदगी में प्रोत्साहन का प्रतीक बन कर सामने आता है । उदाहरण के तौर पर परिंदों का विदा हो जाना ज़िंदगी की मासूमियत का समाप्त हो जाना है । आधुनिक शहरी जीवन की एक पीड़ा ये भी है कि यहाँ से परिंदों की चहचहाट ग़ायब हो गई है । इसी तरह के तजरबे से सजी चुनिंदा शायरी का एक संकलन यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है ।

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