सुर्मा
फ़हमीदा को सुर्मा लगाने का बेहद शौक़ था। शादी के बाद शौहर के टोकने पर उसने सुर्मा लगाना छोड़ दिया। फिर उसने नवजात बच्चे के सुर्मा लगाना शुरू किया लेकिन वो डबल निमोनिया से मर गया। एक दिन जब फ़हमीदा के शौहर ने उसे जगाने की कोशिश की तो वो मुर्दा पड़ी थी और उसके पहलू में एक गुड़िया थी जिसकी आँखें सुर्मे से भरी हुई थीं।
सआदत हसन मंटो
फूलों की साज़िश
विभिन्न हीलों और बहानों से एकता व अखंडता को तोड़ने वाले तत्वों को अलंकारिक प्रतिमान के रूप में रेखांकित किया गया है। एक दिन गुलाब माली के विरुद्ध प्रतिरोध की आवाज़ उठाता है और सारे फूलों को अपनी आज़ादी और अधिकारों की तरफ़ ध्यानाकर्षित करता है लेकिन चमेली अपनी नर्म और कोमल बातों से गुलाब को अपनी तरफ़ आकर्षित करके असल उद्देश्य से ध्यान भटका देती है। सुबह माली आकर दोनों को तोड़ लेता है।
सआदत हसन मंटो
इश्क़-ए-हक़ीक़ी
अख़्लाक़ नामी नौजवान को सिनेमा हाल में परवीन नाम की एक लड़की से इश्क़ हो जाता है जिसके घर में सख़्त पाबंदियाँ हैं। अख़्लाक़ हिम्मत नहीं हारता और उन दोनों में ख़त-ओ-किताबत शुरू हो जाती है और फिर एक दिन परवीन अख़्लाक़ के साथ चली आती है। परवीन के गाल के तिल पर बोसा लेने के लिए अख़्लाक़ जब आगे बढ़ता है तो बदबू का एक तेज़ भभका अख़्लाक़ के नथुनों से टकराता है और तब उसे मालूम होता है कि परवीन के मसूढ़े सड़े हुए हैं। अख़्लाक़ उसे छोड़कर अपने दोस्त के यहाँ लायलपुर चला जाता है। दोस्त के गै़रत दिलाने पर वापस आता है तो परवीन को मौजूद नहीं पाता है।
सआदत हसन मंटो
फुंदने
कहानी का मौज़ू सेक्स और हिंसा है। कहानी में एक साथ इंसान और जानवर दोनों को पात्र के रूप में पेश किया गया है। जिन्सी अमल से पैदा होने वाले नतीजों को स्वीकार न कर पाने की स्थिति में बिल्ली के बच्चे, कुत्ते के बच्चे, ढलती उम्र की औरतें जिनमें जिन्सी कशिश बाक़ी नहीं, वे सब के सब मौत का शिकार होते नज़र आते हैं।
सआदत हसन मंटो
फ़रिश्ता
"ज़िंदगी की आज़माईशों से परेशान शख़्स की नफ़्सियाती कैफ़ियत पर मब्नी कहानी। मौत के बिस्तर पर पड़ा अता-उल-अल्लाह अपने परिवार की मजबूरियों को देखकर परेशान हो जाता है और अर्धमूर्च्छित अवस्था में देखता है कि उसने सबको मार डाला है यानी जो काम वो अस्ल में नहीं कर सकता उसे ख़्वाब में अंजाम देता है।"
सआदत हसन मंटो
शेर आया शेर आया दौड़ना
बचपन में स्कूल में पढ़ाई जानी वाली झूठे गड़रिये की कहानी को एक नए अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है। कहानी में गड़रिये के शेर के न आने के बावजूद चिल्लाने के उद्देश्य को बताया गया है। गड़रिया शेर न होने के बावजूद चिल्लाता है क्योंकि वह चाहता है कि लोग शेर के आने से पहले ही ख़ुद को तैयार रखें। अगर अचानक शेर आ गया तो किसी को भी बचने का मौक़ा नहीं मिलेगा।
सआदत हसन मंटो
आँखें
यह मुग़लिया सल्तनत के बादशाह जहाँगीर के इर्द-गिर्द घूमती कहानी है। मुग़लिया सल्तनत, उसकी राजनीति, बादशाहों की महफ़िल और उन महफ़िलों में मिलने आने वालों का ताँता। उन्हें मिलने आने वालों के ज़रिए जहाँगीर एक ऐसी लड़की से मिलते हैं जिसकी आँखों को वह कभी भूल नहीं पाते। साइमा बेगम की आँखें। वो आँखें ऐसी हैं कि देखने वाले के दिमाग़ में पैवस्त हो जाती हैं और उसके दिमाग़ पर हर वक़्त उन्हीं का तसव्वुर छाया रहता है।
क़ाज़ी अबदुस्सत्तार
बादशाहत का ख़ात्मा
"सौन्दर्य व आकर्षण के इच्छुक एक ऐसे बेरोज़गार नौजवान की कहानी है जिसकी ज़िंदगी का अधिकतर हिस्सा फ़ुटपाथ पर रात बसर करते हुए गुज़रा था। संयोगवश वो एक दोस्त के ऑफ़िस में कुछ दिनों के लिए ठहरता है जहां एक लड़की का फ़ोन आता है और उनकी बातचीत लगातार होने लगती है। मोहन को लड़की की आवाज़ से इश्क़ है इसलिए उसने कभी उसका नाम, पता या फ़ोन नंबर जानने की ज़हमत नहीं की। दफ़्तर छूट जाने की वजह से उसकी जो 'बादशाहत' ख़त्म होने वाली थी उसका विचार उसे सदमे में मुब्तला कर देता है और एक दिन जब शाम के वक़्त टेलीफ़ोन की घंटी बजती है तो उसके मुँह से ख़ून के बुलबुले फूट रहे होते हैं।"
सआदत हसन मंटो
बारिदा शिमाली
प्रतीकों के माध्यम से कही गई यह कहानी दो लड़कियों के गिर्द घूमती हैं। वे दोनों पक्की सहेलियाँ थीं। उन्होंने एक साथ ही अपने जीवन साथी भी चुने थे। दोनों की ज़िंदगी हँसी-ख़ुशी गुज़र रही थी कि अचानक उन्हें एहसास होने लगता है कि उनके जीवन साथी उनके लिए सही नहीं हैं। फिर एक इत्तिफ़ाक़़ के चलते उनके जीवन साथी एक-दूसरे से बदल जाते हैं। इस बदलाव के बाद उन्हें महसूस होता है कि अब वे सही जीवन साथी के साथ हैं।