aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

उस्ताद पर चित्र/छाया शायरी

उस्ताद को मौज़ू बनाने

वाले ये अशआर उस्ताद की अहमियत और शागिर्द-ओ-उस्ताद के दर्मियान के रिश्तों की नौइयत को वाज़ेह करते हैं ये इस बात पर भी रौशनी डालते हैं कि न सिर्फ कुछ शागिर्दों की तर्बीयत बल्कि मुआशरती और क़ौमी तामीर में उस्ताद का क्या रोल होता है। इस शायरी के और भी कई पहलू हैं। हमारा ये इंतिख़ाब पढ़िए। ख़फ़ा-ख़फ़ा होना और एक दूसरे से नाराज़ होना ज़िंदगी में एक आम सा अमल है लेकिन शायरी में ख़फ़्गी की जितनी सूरतों हैं वो आशिक़ और माशूक़ के दर्मियान की हैं। शायरी में ख़फ़ा होने, नाराज़ होने और फिर राज़ी हो जाने का जो एक दिल-चस्प खेल है इस की चंद तस्वीरें हम इस इंतिख़ाब में आपके सामने पेश कर रहे हैं।

हमारे उस्ताद

शागिर्द हैं हम 'मीर' से उस्ताद के 'रासिख़'

जिन के किरदार से आती हो सदाक़त की महक

वही शागिर्द फिर हो जाते हैं उस्ताद ऐ 'जौहर'

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए