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Tahir Faraz's Photo'

ताहिर फ़राज़

रामपुर, भारत

मुशायरों के मक़बूल शायर

मुशायरों के मक़बूल शायर

ताहिर फ़राज़ का परिचय

ताहिर फ़राज़ की गुफ़्तुगू अवाम से है। इसलिए उनका लहजा भी अवामी है, और इस क़दर कि साधारण मानसिक स्तर का व्यक्ति भी उनकी शायरी से आनंद उठा सकता है। इस तरह की शायरी वर्गीय सीमाओं को तोड़ती है और शायरी को एक हमागीर सूरज, चाँद आसा सूरत में पेश करती है।
ताहिर फ़राज़ का लहजा और लय बहुत सुंदर है। उनकी गज़ल एक सुरम्य झरने की तरह है। जो उनकी गज़ल का अद्वितीय, सुरीला नामियाती वुजूद है, वही उन्हें मुशायरे के शायरों से अलग करता है। उनकी शायरी में दर्द और तड़प, टीस की फ़िज़ा मिलती है, और यही कसक उनके लहजे में पूरी शिद्दत से प्रकट होती है तो कितनों को बेहाल कर देती है और कितनों पर मुग्धता का जादू कर देती है। उनकी शायरी में “अज़ दिल ख़ेज़द, बर दिल रेज़द” यानी जो बात दिल से निकलती है, वह दिल तक पहुँचती है," वाली बात है, वह कम ही शायरों को नसीब होती है।

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