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बहादुर शाह ज़फ़र

1775 - 1862 | दिल्ली, भारत

आख़िरी मुग़ल बादशाह। ग़ालिब और ज़ौक़ के समकालीन

आख़िरी मुग़ल बादशाह। ग़ालिब और ज़ौक़ के समकालीन

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मेहदी हसन

हबीब वली मोहम्मद

Aa Kar Ke Meri Kabr Par - Bahadur Shah Zafar

Aa Kar Ke Meri Kabr Par - Bahadur Shah Zafar अज्ञात

Ja kahiyo unhi se naseem-e-sahar

Ja kahiyo unhi se naseem-e-sahar सुदीप बनर्जी

Yaar Tha Gulzaar Tha Mai Thi Fazaa Thi

Yaar Tha Gulzaar Tha Mai Thi Fazaa Thi आबिदा परवीन

Yaar Tha Gulzar Tha (Poet:Bahadur Shah Zafar) Singer:Abida Parveen

Yaar Tha Gulzar Tha (Poet:Bahadur Shah Zafar) Singer:Abida Parveen आबिदा परवीन

नहीं इश्क़ में इस का तो रंज हमें कि क़रार ओ शकेब ज़रा न रहा

नहीं इश्क़ में इस का तो रंज हमें कि क़रार ओ शकेब ज़रा न रहा हबीब वली मोहम्मद

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी मेहदी हसन

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी फ़रीदा ख़ानम

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में हबीब वली मोहम्मद

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में हबीब वली मोहम्मद

मेहदी हसन

इतना न अपने जामे से बाहर निकल के चल

इतना न अपने जामे से बाहर निकल के चल मेहरान अमरोही

गई यक-ब-यक जो हवा पलट नहीं दिल को मेरे क़रार है

गई यक-ब-यक जो हवा पलट नहीं दिल को मेरे क़रार है मुकेश

जिगर के टुकड़े हुए जल के दिल कबाब हुआ

जिगर के टुकड़े हुए जल के दिल कबाब हुआ मेहरान अमरोही

टुकड़े नहीं हैं आँसुओं में दिल के चार पाँच

टुकड़े नहीं हैं आँसुओं में दिल के चार पाँच मेहरान अमरोही

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी एम. कलीम

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी भारती विश्वनाथन

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी तलअत अज़ीज़

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी गायत्री अशोकन

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी अज्ञात

भरी है दिल में जो हसरत कहूँ तो किस से कहूँ

भरी है दिल में जो हसरत कहूँ तो किस से कहूँ मेहरान अमरोही

मर गए ऐ वाह उन की नाज़-बरदारी में हम

मर गए ऐ वाह उन की नाज़-बरदारी में हम मेहरान अमरोही

या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता

या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता मेहरान अमरोही

या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता

या मुझे अफ़सर-ए-शाहाना बनाया होता हबीब वली मोहम्मद

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में मेहरान अमरोही

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में मोहम्मद रफ़ी

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में मोहम्मद रफ़ी

वाँ इरादा आज उस क़ातिल के दिल में और है

वाँ इरादा आज उस क़ातिल के दिल में और है मेहरान अमरोही

वाँ रसाई नहीं तो फिर क्या है

वाँ रसाई नहीं तो फिर क्या है मेहरान अमरोही

शमशीर-ए-बरहना माँग ग़ज़ब बालों की महक फिर वैसी ही

शमशीर-ए-बरहना माँग ग़ज़ब बालों की महक फिर वैसी ही हबीब वली मोहम्मद

सब रंग में उस गुल की मिरे शान है मौजूद

सब रंग में उस गुल की मिरे शान है मौजूद मेहरान अमरोही

हम ये तो नहीं कहते कि ग़म कह नहीं सकते

हम ये तो नहीं कहते कि ग़म कह नहीं सकते मेहरान अमरोही

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