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भारतीय संगीत के विद्वान और संगीतकार।

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शाहिद मीर के दोहे

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जीवन जीना कठिन है विष पीना आसान

इंसाँ बन कर देख लो 'शंकर' भगवान

हर इक शय बे-मेल थी कैसे बनती बात

आँखों से सपने बड़े नींद से लम्बी रात

ज़ेहन में तू आँखों में तू दिल में तिरा वजूद

मेरा तो बस नाम है हर जा तू मौजूद

काग़ज़ पर लिख दीजिए अपने सारे भेद

दिल में रहे तो आँच से हो जाएँगे छेद

आँगन है जल-थल बहुत दीवारों पर घास

घर के अंदर भी मिला 'शाहिद' को बनवास

तातीलें रुख़्सत हुईं खुले सभी स्कूल

सड़कों पर खिलने लगे प्यारे प्यारे फूल

'शाहिद' लिखना है मुझे ये किस की तारीफ़

डरा डरा सा क़ाफ़िया सहमी हुई रदीफ़

शब गुज़री बुझने लगा रौशनियों का शहर

लौटी साहिल की तरफ़ थकी थकी इक लहर

रास आई कुछ इस तरह शब्दों की जागीर

'शाहिद' पीछे रह गए आगे बढ़ गए 'मीर'

दर्द है दौलत की तरह ग़म ठहरा जागीर

अपनी इस जागीर में ख़ुश हैं 'शाहिद-मीर'

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Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

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