aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
इक मुअम्मा है समझने का न समझाने का
ज़िंदगी काहे को है ख़्वाब है दीवाने का
"ख़ल्क़ कहती है जिसे दिल तिरे दीवाने का" ग़ज़ल से की फ़ानी बदायुनी
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