aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
क्यूँ खुल गए लोगों पे मिरी ज़ात के असरार
ऐ काश कि होती मिरी गहराई ज़रा और
"हो जाएगी जब तुम से शनासाई ज़रा और" ग़ज़ल से की आनिस मुईन
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