aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
फ़क़त निगाह से होता है फ़ैसला दिल का
न हो निगाह में शोख़ी तो दिलबरी क्या है
"निगाह-ए-फ़क़्र में शान-ए-सिकंदरी क्या है" ग़ज़ल से की अल्लामा इक़बाल
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