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अल्लामा इक़बाल

1877 - 1938 | लाहौर, पाकिस्तान

महान उर्दू शायर एवं पाकिस्तान के राष्ट्र-कवि जिन्होंने 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा' के अतिरिक्त 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसे गीत की रचना की

महान उर्दू शायर एवं पाकिस्तान के राष्ट्र-कवि जिन्होंने 'सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा' के अतिरिक्त 'लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी' जैसे गीत की रचना की

अल्लामा इक़बाल

ग़ज़ल 116

नज़्म 434

अशआर 134

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले

ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं

अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं

तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ

मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ

तू शाहीं है परवाज़ है काम तेरा

तिरे सामने आसमाँ और भी हैं

क़ितआ 10

रुबाई 12

क़िस्सा 13

पुस्तकें 1297

चित्र शायरी 22

वीडियो 98

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शायरी वीडियो

अल्लामा इक़बाल

Mohd. Iqbal - Zubaan-e-Ishq

मुज़फ्फर अली

ऑडियो 58

अगर कज-रौ हैं अंजुम आसमाँ तेरा है या मेरा

अपनी जौलाँ-गाह ज़ेर-ए-आसमाँ समझा था मैं

कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुंतज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में

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