1916 - 2006 | लाहौर, पाकिस्तान
पाकिस्तान के शीर्ष प्रगतिशील शायर/कहानीकारों में भी महत्वपूर्ण स्थान/सआदत हसन मंटो के समकालीन
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आख़िर दुआ करें भी तो किस मुद्दआ के साथ
कैसे ज़मीं की बात कहें आसमाँ से हम
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा
मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा
जिस भी फ़नकार का शहकार हो तुम
उस ने सदियों तुम्हें सोचा होगा
Aable
Char Taweel Kahaniyan
1987
1993
Aagha Hashr Kaashmiri
Hayat Aur Karname
1986
Aagha Hashr Ke Drame
Volume-001
अाँचल
1944
Aanchal
Abdur Rahman Chughtai : Shakhsiyat Aur Fan
1980
अब्दुर्रहमान चुग़ताई
शख़्सियत और फ़न
मुसाफ़िर ही मुसाफ़िर हर तरफ़ हैं मगर हर शख़्स तन्हा जा रहा है
जिस भी फ़नकार का शहकार हो तुम उस ने सदियों तुम्हें सोचा होगा
कौन कहता है कि मौत आई तो मर जाऊँगा मैं तो दरिया हूँ समुंदर में उतर जाऊँगा
दिल गया था तो ये आँखें भी कोई ले जाता मैं फ़क़त एक ही तस्वीर कहाँ तक देखूँ
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