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ग़ज़ल 89
नज़्म 8
शेर 57
हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हंस
जो तअल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं
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क़ितआ 1
पुस्तकें 5
चित्र शायरी 4
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