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शहज़ाद अहमद

1932 - 2012 | लाहौर, पाकिस्तान

नई ग़ज़ल के प्रमुखतम पाकिस्तानी शायरों में विख्यात

नई ग़ज़ल के प्रमुखतम पाकिस्तानी शायरों में विख्यात

शहज़ाद अहमद

ग़ज़ल 96

नज़्म 19

अशआर 196

छोड़ने मैं नहीं जाता उसे दरवाज़े तक

लौट आता हूँ कि अब कौन उसे जाता देखे

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गुज़रने ही दी वो रात मैं ने

घड़ी पर रख दिया था हाथ मैं ने

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हज़ार चेहरे हैं मौजूद आदमी ग़ाएब

ये किस ख़राबे में दुनिया ने ला के छोड़ दिया

हौसला है तो सफ़ीनों के अलम लहराओ

बहते दरिया तो चलेंगे इसी रफ़्तार के साथ

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जब उस की ज़ुल्फ़ में पहला सफ़ेद बाल आया

तब उस को पहली मुलाक़ात का ख़याल आया

पुस्तकें 26

चित्र शायरी 6

 

वीडियो 13

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

शहज़ाद अहमद

शहज़ाद अहमद

Gaye khurshid ko kisne pukaara

शहज़ाद अहमद

चुप के आलम में वो तस्वीर सी सूरत उस की

शहज़ाद अहमद

डूब जाएँगे सितारे और बिखर जाएगी रात

शहज़ाद अहमद

प्यार के रंग-महल बरसों में तय्यार हुए

शहज़ाद अहमद

ये सोच कर कि तेरी जबीं पर न बल पड़े

शहज़ाद अहमद

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