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ग़ज़ल 42
नज़्म 39
शेर 48
नहीं नहीं हमें अब तेरी जुस्तुजू भी नहीं
तुझे भी भूल गए हम तिरी ख़ुशी के लिए
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बच्चों की कहानी 1
चित्र शायरी 4
बैठे बैठे कैसा दिल घबरा जाता है जाने वालों का जाना याद आ जाता है बात-चीत में जिस की रवानी मसल हुई एक नाम लेते में कुछ रुक सा जाता है हँसती-बस्ती राहों का ख़ुश-बाश मुसाफ़िर रोज़ी की भट्टी का ईंधन बन जाता है दफ़्तर मंसब दोनों ज़ेहन को खा लेते हैं घर वालों की क़िस्मत में तन रह जाता है अब इस घर की आबादी मेहमानों पर है कोई आ जाए तो वक़्त गुज़र जाता है
वीडियो 49
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