aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
शब्दार्थ
हर एक साज़ को साज़िंदगाँ नहीं दरकार
बदन को ज़र्बत-ए-मिज़राब से इलाक़ा नहीं
"किसी सफ़र किसी अस्बाब से इलाक़ा नहीं" ग़ज़ल से की ज़ियाउल मुस्तफ़ा तुर्क
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