आज़ाद गुलाटी
ग़ज़ल 32
नज़्म 2
अशआर 25
एक वो हैं कि जिन्हें अपनी ख़ुशी ले डूबी
एक हम हैं कि जिन्हें ग़म ने उभरने न दिया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
रौशनी फैली तो सब का रंग काला हो गया
कुछ दिए ऐसे जले हर-सू अंधेरा हो गया
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
वो वक़्त आएगा जब ख़ुद तुम्ही ये सोचोगी
मिला न होता अगर तुझ से मैं तो बेहतर था
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
कुछ ऐसे फूल भी गुज़रे हैं मेरी नज़रों से
जो खिल के भी न समझ पाए ज़िंदगी क्या है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
आसमाँ एक सुलगता हुआ सहरा है जहाँ
ढूँढता फिरता है ख़ुद अपना ही साया सूरज
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए