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अज़रा नक़वी

1952 | नोएडा, भारत

प्रसिद्ध कवयित्री, कहानीकार और अनुवादक. समकालीन सऊदी साहित्य के अनुवाद के लिए जानी जाती हैं

प्रसिद्ध कवयित्री, कहानीकार और अनुवादक. समकालीन सऊदी साहित्य के अनुवाद के लिए जानी जाती हैं

अज़रा नक़वी

ग़ज़ल 17

नज़्म 15

अशआर 6

अब की बार जो घर जाना तो सारे एल्बम ले आना

वक़्त की दीमक लग जाती है यादों की अलमारी में

आने वाले कल की ख़ातिर हर हर पल क़ुर्बान किया

हाल को दफ़ना देते हैं हम जीने की तय्यारी में

उलझे उलझे रेशम की डोर से बंधे रिश्ते

हर घड़ी मोहब्बत का इम्तिहान रहने दो

बचपन कितना प्यारा था जब दिल को यक़ीं जाता था

मरते हैं तो बन जाते हैं आसमान के तारे लोग

हक़ीक़तें तो मिरे रोज़ शब की साथी हैं

मैं रोज़ शब की हक़ीक़त बदलना चाहती हूँ

कहानी 14

पुस्तकें 196

वीडियो 6

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शायर अपना कलाम पढ़ते हुए

अज़रा नक़वी

अज़रा नक़वी

मो'तबर से रिश्तों का साएबान रहने दो

अज़रा नक़वी

उन्हें मुझ से शिकायत है

उन्हें मुझ से शिकायत है कि मैं माज़ी में जीती हूँ अज़रा नक़वी

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