aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

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हेंसन रेहानी

1912 - 1976 | इलाहाबाद, भारत

हेंसन रेहानी

ग़ज़ल 6

अशआर 3

तोड़ कर निकले क़फ़स तो गुम थी राह-ए-आशियाँ

वो अमल तदबीर का था ये अमल तक़दीर का

ग़म की तकमील का सामान हुआ है पैदा

लाइक़-ए-फ़ख़्र मिरी बे-सर-ओ-सामानी है

हर ज़र्रा है जमाल की दुनिया लिए हुए

इंसाँ अगर हो दीदा-ए-बीना लिए हुए

 

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