- पुस्तक सूची 181674
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1651
औषधि563 आंदोलन257 नॉवेल / उपन्यास3432 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी9
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर62
- दीवान1331
- दोहा61
- महा-काव्य92
- व्याख्या149
- गीत85
- ग़ज़ल750
- हाइकु11
- हम्द31
- हास्य-व्यंग38
- संकलन1385
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात634
- माहिया16
- काव्य संग्रह4000
- मर्सिया331
- मसनवी680
- मुसद्दस44
- नात424
- नज़्म1008
- अन्य45
- पहेली14
- क़सीदा143
- क़व्वाली9
- क़ित'अ51
- रुबाई256
- मुख़म्मस18
- रेख़्ती17
- शेष-रचनाएं27
- सलाम28
- सेहरा8
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई19
- अनुवाद80
- वासोख़्त24
ए. हमीद की कहानियाँ
और पुल टूट गया
ये मुहब्बत की एक अजीब कहानी है। दो दोस्त संयोग से एक ही लड़की से मुहब्बत करते हैं लेकिन इससे ज़्यादा हैरत की बात ये है कि वो लड़की भी दोनों दोस्तों से एक जैसी मुहब्बत करती है। एक दोस्त जब पाँच साल के लिए विदेश चला जाता है तो उस लड़की की शादी दूसरे दोस्त से हो जाती है लेकिन शादी के कुछ दिन बाद ही लड़की मर जाती है और मरते वक़्त अपने शौहर से वादा लेती है कि वो उसकी मौत की ख़बर अपने दोस्त को नहीं देगा।
मिट्टी की मोना लीज़ा
कहानी में सामाजिक भेदभाव, ऊँच-नीच का फ़र्क़, ग़रीब और अमीर की ज़िंदगी की मुसीबतों और आसानियों पर बहुत बारीकी से चर्चा की गई है। एक तरफ़ ऊँचा तबक़ा है जो आराम की ज़िंदगी बसर कर रहा है। पढ़ने-लिखने, घूमने-फिरने के लिए दूसरे मुल्कों में जा रहा है। वहीं ग़रीब तबक़ा भी है जिसे अपने बच्चों की फ़ीस, उनकी दवाइयों और दूसरी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए एड़ियाँ रगड़नी पड़ती है। उन घरों की औरतें सारा दिन काम करने के बाद थक-हार जब रात को सोती हैं तो उनके चेहरों पर भी मोनालिसा की मुस्कान तैर जाती है।
एक रात
बे यार-ओ-मददगार सर्द ठंडी रात में सर छुपाने के लिए जगह तलाश करते एक ऐसे शख़्स की कहानी, जिसे मस्जिद से निकाले जाने पर रास्ते में एक दूसरा शख़्स मिल जाता है। उससे मिलकर वह सोचता है कि उसके मसअले का हल हो गया मगर बाद में पता चलता है कि वह भी उसी की तरह पनाह की तलाश में भटक रहा है। वह उसे साथ लेकर एक चायख़ाने में चला जाता है और वहाँ अपनी कहानी सुनाता है। उसकी कहानी से वह इतना प्रभावित होता है कि अपने हालात बदलने के लिए भूखा और तन्हा ही बे-रहम दुनिया से टकराने के लिए निकल पड़ता है।
मंज़िल मंज़िल
राजदा ने कहा था मेरे मुतअल्लिक़ अफ़साना मत लिखना। मैं बदनाम हो जाऊँगी। इस बात को आज तीसरा साल है और मैंने राजदा के बारे में कुछ नहीं लिखा और न ही कभी लिखूँगा। अगरचे वो ज़माना जो मैंने उसकी मोहब्बत में बसर किया, मेरी ज़िंदगी का सुनहरी ज़माना था और उसका
शाहदरे की एक शाम
"आर्थिक कमज़ोरियों के कारण नाकाम हसरतों वाली मोहब्बतों की पीड़ा को इस कहानी में बयान किया गया है। कहानी का सूत्रधार एक कहानी-कार है। एक पत्रिका का संपादक उससे सनसनी-खेज़ कहानी लिखने की फ़र्माइश करता है। एकाग्रता लिए वो नूर-जहाँ के मक़बरा में जाता है लेकिन वहाँ उसे अपनी महबूबा का ख़्याल सताता है जो आर्थिक तंगी के कारण उसकी बीवी न बन सकी थी और फिर उसे उन हज़ारों नूर-जहाँओं का ख़्याल आता है जो अपने अपने मज़ारों में दफ़्न हैं। मक़बरे की चहार-दीवारी से निकलते वक़्त कहानी-कार महसूस करता है कि वो नूर-जहाँ के बारे में कभी कोई कहानी नहीं लिख सकेगा।"
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi
GET YOUR PASS
-
बाल-साहित्य1651
-