Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर
Alok Mishra's Photo'

आलोक मिश्रा

1985 | दिल्ली, भारत

आलोक मिश्रा

ग़ज़ल 30

अशआर 13

सब सितारे दिलासा देते हैं

चाँद रातों को चीख़ता है बहुत

क्या ज़रूरत है मुझ को चेहरे की

कौन चेहरे से जानता है मुझे

अजीब ख़्वाब था आँखों में नींद छोड़ गया

कि नींद गुज़री है मुझ को ज़लील करते हुए

  • शेयर कीजिए

जाने किस बात से दुखा है बहुत

दिल कई रोज़ से ख़फ़ा है बहुत

मरा हुआ मैं वो किरदार हूँ कहानी का

जो जी रहा है कहानी तवील करते हुए

वीडियो 7

This video is playing from YouTube

वीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
इस सियह रात में कोई तो सहारा मिल जाए

आलोक मिश्रा

Bujhti aankhon mein tere khwab ka bosa rakha

आलोक मिश्रा

Hum musalsal ek bayaan dete huye

आलोक मिश्रा

Jaane kis baat se dukha hai bahut

आलोक मिश्रा

Jazb kuch titliyon ke par mein hai

आलोक मिश्रा

Wo be asar musalsal zalil karte huye

आलोक मिश्रा

साल ये कौन सा नया है मुझे

आलोक मिश्रा

ऑडियो 6

चीख़ की ओर मैं खिंचा जाऊँ

जज़्ब कुछ तितलियों के पर में है

जाने किस बात से दुखा है बहुत

Recitation

संबंधित लेखक

"दिल्ली" के और लेखक

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए