Font by Mehr Nastaliq Web

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

अशरफ़ यूसुफ़ी

अशआर 3

एक तस्वीर हूँ ग़म की जिस पर

मुस्कुराने का गुमाँ होता है

लकीरें खींच के मिट्टी पे बैठ जाता हूँ

यहाँ मकाँ था ये बाज़ार ये गली उस की

  • शेयर कीजिए

हवा के लम्स में उस की महक भी होती है

वो शाख़-ए-गुल जो कहीं रू-ब-रू नहीं होती

 

ग़ज़ल 12

पुस्तकें 3

 

"फ़ैसलाबाद" के और लेखक

 

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए