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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

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अबुधाबी निवासी प्रसिद्ध शायर, चर्चित अदीब व शायर शौकत वास्ती के सुपुत्र

अबुधाबी निवासी प्रसिद्ध शायर, चर्चित अदीब व शायर शौकत वास्ती के सुपुत्र

आसिम वास्ती

ग़ज़ल 155

नज़्म 7

अशआर 27

मिरी ज़बान के मौसम बदलते रहते हैं

मैं आदमी हूँ मिरा ए'तिबार मत करना

बदल गया है ज़माना बदल गई दुनिया

अब वो मैं हूँ मिरी जाँ अब वो तू तू है

तेज़ इतना ही अगर चलना है तन्हा जाओ तुम

बात पूरी भी होगी और घर जाएगा

वक़्त बे-वक़्त झलकता है मिरी सूरत से

कौन चेहरा मिरी तश्कील में आया हुआ है

इंतिहाई हसीन लगती है

जब वो करती है रूठ कर बातें

पुस्तकें 9

 

ऑडियो 12

एक आँसू में तिरे ग़म का अहाता करते

गुज़र चुका है जो लम्हा वो इर्तिक़ा में है

तुम भटक जाओ तो कुछ ज़ौक़-ए-सफ़र आ जाएगा

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