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भीष्म साहनी की कहानियाँ
चीफ़ की दावत
एक माँ की ममता और एक बेटे की ख़ुद-ग़र्ज़ी की इंतिहाओं को बयान करती हुई उम्दा कहानी है। माँ जिसने बेटे की तालीम के लिए अपने ज़ेवर तक बेच दिए हैं, उसका बेटा अपने चीफ़ की आमद पर उसे एक कबाड़ की तरह कोठरी में बंद कर देना चाहता है लेकिन जब चीफ़ का सामना माँ से हो जाता है तो चीफ़ बहुत अपनाईयत से माँ से बात-चीत करता है। उससे देहाती गीत सुनता है और पंजाब के गाँव की दस्तकारी के बारे में पूछता है। बेटा बढ़कर बता देता है कि यहाँ की फुलकारी बहुत मशहूर है और वो माँ से बनवा कर दे देगा। माँ अपनी बीनाई की कमज़ोरी बयान करती है तो बेटा अपनी तरक़्क़ी की बात करके उसकी ममता को उकसा देता है और वो फुलकारी बनाने के लिए तैयार हो जाती है।
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