aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere

रद करें डाउनलोड शेर

फ़रहत परवीन के शेर

दो-जहाँ पाने का राज़ बताऊँ तुझ को

जा किसी प्यार-भरे दिल में ठिकाना कर ले

क्यों भेद खुले लाचारी का एहसान भी लें दिलदारी का

आँखों को नहीं हम करते नम पर दिल में समुंदर रखते हैं

यूँ दिया करते हैं हम तल्ख़-नवाई का जवाब

अपने लहजे में ज़रा और भी रस घोलते हैं

जैसा कल था आज भी वैसा और वैसा ही हो गा

आज का कर्ब उठाने में मैं कल का दुख भी सहती हूँ

यूँ दिया करते हैं हम तल्ख़-नवाई का जवाब

अपने लहजे में ज़रा और भी रस घोलते हैं

Recitation

Jashn-e-Rekhta | 8-9-10 December 2023 - Major Dhyan Chand National Stadium, Near India Gate - New Delhi

GET YOUR PASS
बोलिए