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होश बिलग्रामी के शेर
होश बिलग्रामीमिरी आरज़ू-ए-रुसवा न छुपेगी 'होश' मुझ से
कि मिरी निगाह में है मिरे दर्द का फ़साना
होश बिलग्रामीजो तुझे ख़याल होता ये मिरा न हाल होता
न तिरी निगाह बदली न बदल सका ज़माना
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