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इन्तिज़ार हुसैन

1925 - 2016 | लाहौर, पाकिस्तान

लब्धप्रतिष्ठ कथाकार, अपनी विशिष्ट शैली और विभाजन के अनुभवों के मार्मिक वर्णन के लिए प्रसिद्ध। मेन बुकर पुरस्कार के लिए शार्ट लिस्ट किये जाने वाले पहले उर्दू-लेखक।

लब्धप्रतिष्ठ कथाकार, अपनी विशिष्ट शैली और विभाजन के अनुभवों के मार्मिक वर्णन के लिए प्रसिद्ध। मेन बुकर पुरस्कार के लिए शार्ट लिस्ट किये जाने वाले पहले उर्दू-लेखक।

इन्तिज़ार हुसैन

कहानी 42

लेख 15

उद्धरण 74

उर्दू अदब के हक़ में दो चीज़ें सबसे ज़्यादा मोहलिक साबित हुईं। इन्सान दोस्ती और खद्दर का कुर्ता।

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अब हम आदाद-ओ-शुमार की दुनिया में रहते हैं। चीज़ों की हद-बंदियाँ हो गई हैं। हमारे इर्द-गिर्द तहज़ीब की सरहद खिंच गई है। रेडियो और अख़्बारात इस सरहद के निगह्बान हैं, उनका यह काम है कि कोई ख़बर अफ़्साना बनने लगे तो तरदीदी बयान शाया कर दें।

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अफ़साने का रब्त इजतिमाई तहज़ीब और इसके सर-चश्मों से टूट जाये तो वो अपनी नई तकनीकों के साथ नट का तमाशा होता है या फिर इश्तिहार होता है।

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ताज महल उसी बावर्ची के ज़माने में तैयार हो सकता था जो एक चने से साठ खाने तैयार कर सकता था।

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क़ौम की तख़लीक़ी सलाहियतें सलामत हों तो दूसरे कल्चर के मज़ाहिर अगर दख़ल भी पाएं तो क़ौमी कल्चर का हिस्सा बन जाते हैं। हमारी तहज़ीबी सालमियत के ज़माने में क्रिकेट हमारे यहाँ राह पाता तो हमारे खेलों में एक खेल का इज़ाफ़ा हो जाता।

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