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कमलेश्वर की कहानियाँ
गर्मियों के दिन
मुआशरे में बढ़ती हुई सारफ़ियत और आयूर्वेद यानी क़दीम तरीक़ा-ए-इलाज के ज़वाल का नौहा है। वेद जी दिन-भर बैठे रहते हैं लेकिन एक भी मरीज़ उनके पास नहीं आता। भूले-भटके कोई सरकारी मुलाज़िम जअ्ली मेडीकल सर्टीफ़िकेट बनवाने आता भी है तो पैसों पर समझौता नहीं हो पाता। वेद जी अपना पेट पालने के लिए तहसील के पटवारियों का रजिस्टर बनाते हैं क्योंकि नए पटवारियों को रजिस्टर बनाना आता नहीं है।
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