- पुस्तक सूची 187374
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
गतिविधियाँ41
बाल-साहित्य2050
नाटक / ड्रामा1015 एजुकेशन / शिक्षण370 लेख एवं परिचय1458 कि़स्सा / दास्तान1630 स्वास्थ्य101 इतिहास3489हास्य-व्यंग732 पत्रकारिता215 भाषा एवं साहित्य1923
पत्र806 जीवन शैली23 औषधि1009 आंदोलन298 नॉवेल / उपन्यास4997 राजनीतिक367 धर्म-शास्त्र4703 शोध एवं समीक्षा7225अफ़साना3024 स्केच / ख़ाका287 सामाजिक मुद्दे117 सूफ़ीवाद / रहस्यवाद2243पाठ्य पुस्तक573 अनुवाद4505महिलाओं की रचनाएँ6354-
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी14
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर69
- दीवान1483
- दोहा51
- महा-काव्य106
- व्याख्या206
- गीत62
- ग़ज़ल1277
- हाइकु12
- हम्द52
- हास्य-व्यंग37
- संकलन1632
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात707
- माहिया19
- काव्य संग्रह5205
- मर्सिया395
- मसनवी867
- मुसद्दस58
- नात590
- नज़्म1294
- अन्य77
- पहेली16
- क़सीदा193
- क़व्वाली18
- क़ित'अ70
- रुबाई304
- मुख़म्मस16
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम35
- सेहरा10
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा20
- तारीख-गोई30
- अनुवाद74
- वासोख़्त27
मिसेज़ अब्दुल क़ादिर की कहानियाँ
शगूफ़ा
यह एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जो जवानी में सैर करने के शौक़ में अमरनाथ की यात्रा पर निकल पड़ा था। वहाँ रास्ता भटक जाने के कारण वह एक कश्मीरी गाँव में जा पहुँचा। उस गाँव में उसने उस ख़ूबसूरत लड़की को देखा जिसका नाम शगूफ़ा था। शगूफ़ा को गाँव वाले चुड़ैल समझते थे और उससे डरते थे। गाँव वालों के मना करने के बावजूद वह शगूफ़ा के पास गया, क्योंकि वह उससे मोहब्बत करता था। उसकी मोहब्बत का जवाब देने से पहले शगूफ़ा ने उसे अपनी वो दास्तान सुनाई, जिसके समापन में उसे अपनी जान देनी पड़ी।
सदा-ए-जरस
इस अफ़साने में एक ऐसे व्यक्ति की कहानी है, जिसे मिस्र से आई एक हज़ारों साल पुरानी ममी से मोहब्बत हो जाती है। उस ममी को दिखाने के लिए वह अपने एक ख़ास दोस्त को भी बुलाता है। दोस्त के साथ उसकी बीवी भी आती है। वह जब अपने दोस्त को ममी दिखाता है तो साथ ही चाहता है कि वह उसकी तरह उस ममी से अपनी मोहब्बत को व्यक्त करे। दोस्त अपनी बीवी के कारण उससे मोहब्बत का इज़हार नहीं करता। इसके बाद वह अपनी बीवी को लेकर वापस अपने घर चला आता है। फिर कुछ ऐसी घटनाएँ घटनी शुरू होती हैं कि उसकी ज़िंदगी का चक्र उसी के विरुद्ध घूमना शुरू हो जाता है।
गुलनार
कहानी लोगों के अंधविश्वास और उसे हक़ीक़त में पेश करने की दास्तान को बयान करती है। वे दोनों अपनी ज़िंदगी से काफ़ी ख़ुश थे। लेकिन औलाद न होने के कारण उदास भी थे। दिल बहलाने के लिए उसकी बीवी ने गुलनार नाम की बिल्ली पाल रखी थी, जिसे वह बहुत चाहती थी। औलाद के लिए वह दूसरी शादी कर लेता है। यह दूसरी शादी उसकी ज़िंदगी को एक ऐसा मोड़ देती है कि उसे ख़ुद उस पर यक़ीन नहीं आता।
बला-ए-नागहाँ
एक ऐसे व्यक्ति की कहानी, जो अपनी जवानी के दिनों में लकड़ी के कारोबार में लग गया था और काफ़ी अमीर हो गया था। एक दिन लकड़ी की तलाश में वह जंगल में गया और रास्ता भटक गया। वहाँ वह एक क़बीले में जा मिला और उस क़बीले में रहते हुए उसने एक ऐसा ख़्वाब देखा कि जिसकी ता'बीर ने उसे मौत के मुँह में पहुँचा दिया।
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
-
गतिविधियाँ41
बाल-साहित्य2050
-
