नईम सरमद
ग़ज़ल 9
अशआर 10
अब की सर्दी में कहाँ है वो अलाव सीना
अब की सर्दी में मुझे ख़ुद को जलाना होगा
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जानने वाले मानने वालों से अफ़ज़ल है ध्यान रहे
मजनूँ मत बन होश में रह और फिर लैला का भेद समझ
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अपने होने से भी इंकार किए जाते हैं
तेरे होने का यक़ीं ख़ुद को दिलाते हुए हम
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वो जो इक बात है जो तुझ को बताई न गई
वो जो इक राज़ है जो खुल न सका वहशत है
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