- पुस्तक सूची 188072
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1973
औषधि919 आंदोलन300 नॉवेल / उपन्यास4716 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी13
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर64
- दीवान1459
- दोहा64
- महा-काव्य109
- व्याख्या200
- गीत80
- ग़ज़ल1184
- हाइकु12
- हम्द46
- हास्य-व्यंग36
- संकलन1595
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात690
- माहिया19
- काव्य संग्रह5087
- मर्सिया384
- मसनवी833
- मुसद्दस58
- नात559
- नज़्म1255
- अन्य72
- पहेली16
- क़सीदा189
- क़व्वाली18
- क़ित'अ62
- रुबाई297
- मुख़म्मस17
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम33
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई30
- अनुवाद74
- वासोख़्त26
सज्जाद ज़हीर की कहानियाँ
नींद नहीं आती
एक ऐसे नौजवान की कहानी है जो ग़रीबी, बेबसी, भटकाव और अर्धस्वप्नावस्था की चेतना का शिकार है। वह अपनी आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधारने की हर मुमकिन कोशिश करता है मगर कामयाब नहीं हो पाता। रात में चारपाई पर लेटे हुए मच्छरों की भिनभिनाहट और कुत्तों के भौंकने की आवाज़ सुनता हुआ वह अपनी बीती ज़िंदगी के कई वाक़िआत याद करता है और सोचता है कि उसने इस ज़िंदगी को बेहतर करने के लिए कितनी जद्द-ओ-जहद की है।
गर्मियों की एक रात
कहानी में सामाजिक विषमता को बहुत बारीकी से दिखाया गया है। एक ही दफ़्तर में काम करने वाले मुंशी बरकत अली और जुम्मन मियाँ के ज़रिए भारतीय समाज के निम्न मध्यवर्गीय लोगों के अभाव, विवशता, बनावटी ज़िंदगी और दोहरे चरित्र का बहुत मार्मिक ढंग से पेश किया गया है।
जन्नत की बशारत
यह कहानी एक मौलाना के ज़रिए मज़हबी रिवायतों पर और मौलानाओं के ढोंग और फ़रेब के व्यवहार पर तीखा हमला करती है। रमज़ान के महीने में ख़ुदा की इबादत में डूबे मौलाना सुबह की नमाज़ पढ़ते हुए एक ख़्वाब देखते हैं। ख़्वाब में उन्हें एक आलीशान कमरा दिखाई देता है और उस कमरे की हर खुली खिड़की में एक हूर नज़र आती है।
दुलारी
यह एक असमान सामाजिक व्यवस्था में स्त्री के यौन शोषण की एक मार्मिक कहानी है। दुलारी बचपन से ही उस घर में पली-बढ़ी थी। उसके बारे में कोई कुछ नहीं जानता था। छुट्टियों में घर आए मालकिन के बेटे के साथ उसकी आँख लड़ जाती है और वह मोहब्बत के नाम पर उसका शोषण करता है। वह उससे शादी का वा'दा तो करता है मगर शादी माँ-बाप की पसंद की हुई लड़की से कर लेता है। उस शादी के बाद ही दुलारी घर छोड़कर चली जाती है।
फिर ये हंगामा...
यह कहानी कई स्वतंत्र कहानियों का संग्रह है, जिनके ज़रिए से मज़हबी रिवायतों और उसके अन्तर्विरोधों, रईसों की रईसाना हरकतों, मध्यवर्गीय मुस्लिम परिवारों के अन्तर्विरोध से पूर्ण सम्बन्धों को दिखाया गया है। कहानी समाज और उसमें मौजूद धार्मिक आडंबर पर तीखा वार करते हुए बताती है कि जब सब कुछ पहले से तय है तो फिर यह हंगामा क्यों मचा हुआ है?
join rekhta family!
-
बाल-साहित्य1973
-