- पुस्तक सूची 186211
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य2016
जीवन शैली22 औषधि933 आंदोलन297 नॉवेल / उपन्यास4883 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी13
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर68
- दीवान1465
- दोहा50
- महा-काव्य106
- व्याख्या201
- गीत62
- ग़ज़ल1197
- हाइकु12
- हम्द47
- हास्य-व्यंग37
- संकलन1604
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात692
- माहिया19
- काव्य संग्रह5072
- मर्सिया384
- मसनवी849
- मुसद्दस58
- नात569
- नज़्म1254
- अन्य76
- पहेली16
- क़सीदा190
- क़व्वाली17
- क़ित'अ65
- रुबाई300
- मुख़म्मस16
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम35
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा20
- तारीख-गोई30
- अनुवाद74
- वासोख़्त26
सलाम बिन रज़्जाक़ द्वारा अनुवाद
दीमक
एक ऐसे लड़के की कहानी है जो अपने वालिद से नाराज़ हो कर एक शहर में मुलाज़मत करने चला आया था। वो अपने वालिद की आदतों से पहले भी नालाँ था और माँ के इंतिक़ाल के बाद जब एक दिन वो गिरफ़्तार हो गए तो उसकी नफ़रतों में इज़ाफ़ा हो गया। जिस दिन वो रिहा हो कर वापिस आए उसी दिन वो मामूली सा सामान लेकर घर से निकल पड़ा और उसके वालिद उसको रोकने की हिम्मत भी ना कर सके। आठ साल बाद अचानक वो बेटे के कमरे पर पहुँच जाते हैं और बारह दिन रुक कर अचानक एक दिन चले जाते हैं। बेटे को कमरे में रखे हुए ख़त से पता चलता है कि वो माँ की वो संदूक़ची देने आए थे जिसमें उसके गहने रखे हुए थे और बचपन में जब वो माँ से उन गहनों को देखने की ज़िद किया करता था तो माँ कहती थी तेरी दुल्हन के लिए ही तो हैं।
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
-
बाल-साहित्य2016
-