- पुस्तक सूची 185546
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
बाल-साहित्य1922
औषधि883 आंदोलन291 नॉवेल / उपन्यास4404 -
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी11
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर64
- दीवान1435
- दोहा64
- महा-काव्य105
- व्याख्या182
- गीत83
- ग़ज़ल1118
- हाइकु12
- हम्द44
- हास्य-व्यंग36
- संकलन1547
- कह-मुकरनी6
- कुल्लियात675
- माहिया19
- काव्य संग्रह4872
- मर्सिया376
- मसनवी817
- मुसद्दस57
- नात537
- नज़्म1204
- अन्य68
- पहेली16
- क़सीदा180
- क़व्वाली19
- क़ित'अ60
- रुबाई290
- मुख़म्मस17
- रेख़्ती12
- शेष-रचनाएं27
- सलाम33
- सेहरा9
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा13
- तारीख-गोई28
- अनुवाद73
- वासोख़्त26
शफ़क़ की कहानियाँ
मुहाजिर परिंदे
एक ऐसे लड़के की कहानी है, जिसके माँ-बाप उसे दंगाइयों से बचाने के लिए गाँव से दूर भेज देते हैं। वहाँ से भागकर वह एक पादरी के घर में पनाह लेता है। उसके वहाँ आने के कुछ दिन बाद ही दक्षिणपंथी समूह का एक कार्यकर्ता पादरी का क़त्ल कर देता है और पुलिस उस क़ातिल को पकड़ने की बजाय पादरी पर ही ज़बरदस्ती धर्म परिवर्तन कराने का इल्ज़ाम लगाकर शंभू को इसकी गवाही देने के लिए कहती है।
फ़ुरसत का दिन
यह एक ऐसे शख़्स की कहानी है, जो बच्चे को स्कूल भेजने के बाद फ़ुर्सत से वक़्त गुज़ारने के बारे में सोचता है। बीवी के साथ वक़्त गुज़ारने, अख़बार पढ़ने और चाय पी चुकने के बाद ही उसे अकेलेपन का एहसास होने लगता है। वह बार-बार घड़ी की तरफ़ देखता है और अंदाज़ा लगाने की कोशिश करता है कि बच्चे के स्कूल से वापस आने में अभी कितना वक़्त बाक़ी है।
बादल
यह एक ऐसे इलाक़े की कहानी है, जिसके लोग किसी के आने के अंदेशे में जीते हैं। मगर जब उन्हें उसके आने की ख़बर मिलती है तो उनमें से किसी को भी नहीं पता होता है कि वह कौन है जो आ रहा है? उसके बारे में जानने के लिए वे लोग हर मुमकिन तरीक़ा अपनाते हैं। हर आलिम के पास जाते हैं मगर उन्हीं कहीं से कुछ भी पता नहीं चलता।
उखड़े हुए पाँव
एक ऐसी लड़की की कहानी, जिसका अपने घर लौटते वक़्त रास्ते में बलात्कार हो जाता है। वह किसी तरह बचती-बचाती घर पहुँचती है। घर पहुँचने तक वह ऐसी मानसिक स्थिति में घिर जाती है कि चाहकर भी वह किसी को कुछ नहीं बता पाती है। उसकी माँ उसे सब कुछ छुपा लेने के लिए कहती है और भाई उस बलात्कारी का खू़न करने के लिए उतावला है।
दूसरा कफ़न
यह कहानी मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘क़फन’ की आगे की कहानी को बयान करती है। मुंशी प्रेमचंद अपनी कहानी को घीसू और माधव के नशे में धुत होकर शराब-ख़ाने के सामने गिर पड़ने पर ख़त्म करते हैं। बस, यह कहानी वहीं से शुरू होती है और घीसू और माधव के गाँव पहुँचने तक की दास्तान बयान करती है।
सिम्टी हुई ज़मीन
यह बम विस्फ़ोट में तबाह हुए एक घर में जख़्मी हालत में पड़े लोगों की कहानी है। उनमें से कई मर जाते हैं और एक बुरी तरह घायल हो जाता है। दो लोग सही-सलामत बचते हैं। वह घायल आदमी को वहाँ से ले जाने के लिए कहते हैं। लेकिन घायल शख़्स यह कहते हुए जाने से इनकार कर देता है कि अब बहुत देर हो चुकी है और वे लोग बस आते ही होंगे।
ख़ुदा हाफ़िज़
यह ट्रेन में सफ़र कर रहे ऐसे लोगों की कहानी है, जिनमें एक हिंदू परिवार है और एक मुस्लिम लड़का है। हिंदू परिवार का मुखिया किसी स्वामी का भक्त है और वह अपनी बातचीत में देश की हर समस्या के लिए मुसलमानों को ज़िम्मेदार ठहराता है। जब ट्रेन एक स्टेशन पर रुकती है तो प्यास से तड़पता उसका बच्चा ट्रेन के नीचे गिर जाता है। वहाँ लोगों की भीड़ लग जाती है, उस वक़्त उस मुसलमान लड़के के सिवा कोई भी उस बच्चे को बचाने की कोशिश नहीं करता।
शहर-ए-सितम
एक बंगाली परिवार की कहानी, जो कलकत्ता से चलकर हाल ही में उस शहर में आकर बसता है। एक दोपहर क्रिकेट खेलते हुए उनका इकलौते बेटे अग़्वा कर लिया जाता है। बेटे की तलाश में बंगाली बाबू हर जगह जाते हैं। पुलिस वाले उनसे बद-तमीज़ी करते हैं और रिश्वत लेते हैं लेकिन उनके बेटे को तलाश नहीं करते। आख़िर में बेटे की जुदाई में तड़पते बंगाली बाबू की मदद बाज़ार में उनका पड़ोसी एक मुसलमान नौजवान करता है।
महानगरी
यह एक ऐसे गाँव की कहानी है, जिसके रहने वालों में से किसी ने भी आज तक बड़ा शहर नहीं देखा था। हालाँकि वह उसके बारे में अभी तक तरह-तरह की कहानियाँ सुन चुके थे। लेकिन किसी की भी हिम्मत वहाँ जाने की नहीं हुई थी। आख़िर में एक नौजवान गाँव से निकलकर महानगर में चला जाता है और उसे वहाँ मानवीय संवेदा रहित एक दूसरी ही दुनिया दिखाई देती है।
join rekhta family!
-
बाल-साहित्य1922
-