शम्स रम्ज़ी
ग़ज़ल 6
नज़्म 1
अशआर 3
फ़ज़ा में उड़ते परिंदे की ख़ैर हो यारब
कि उस का तैर बड़ा है मगर कमान है तंग
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aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere