- पुस्तक सूची 187976
-
-
पुस्तकें विषयानुसार
-
गतिविधियाँ49
बाल-साहित्य2062
नाटक / ड्रामा1021 एजुकेशन / शिक्षण374 लेख एवं परिचय1482 कि़स्सा / दास्तान1694 स्वास्थ्य104 इतिहास3537हास्य-व्यंग742 पत्रकारिता215 भाषा एवं साहित्य1959 पत्र810
जीवन शैली23 औषधि1023 आंदोलन300 नॉवेल / उपन्यास5017 राजनीतिक370 धर्म-शास्त्र4807 शोध एवं समीक्षा7285अफ़साना3046 स्केच / ख़ाका291 सामाजिक मुद्दे118 सूफ़ीवाद / रहस्यवाद2265पाठ्य पुस्तक565 अनुवाद4537महिलाओं की रचनाएँ6351-
पुस्तकें विषयानुसार
- बैत-बाज़ी14
- अनुक्रमणिका / सूची5
- अशआर69
- दीवान1487
- दोहा53
- महा-काव्य106
- व्याख्या208
- गीत63
- ग़ज़ल1321
- हाइकु12
- हम्द53
- हास्य-व्यंग37
- संकलन1647
- कह-मुकरनी7
- कुल्लियात712
- माहिया19
- काव्य संग्रह5284
- मर्सिया397
- मसनवी879
- मुसद्दस58
- नात594
- नज़्म1305
- अन्य77
- पहेली16
- क़सीदा198
- क़व्वाली18
- क़ित'अ71
- रुबाई307
- मुख़म्मस16
- रेख़्ती13
- शेष-रचनाएं27
- सलाम35
- सेहरा10
- शहर आशोब, हज्व, ज़टल नामा20
- तारीख-गोई30
- अनुवाद74
- वासोख़्त28
संपूर्ण
परिचय
ई-पुस्तक541
लेख50
ड्रामा4
शेर6
ग़ज़ल31
नज़्म1
ऑडियो 20
वीडियो25
गेलरी 1
ब्लॉग2
अन्य
अनुवाद1
शमीम हनफ़ी
लेख 50
ड्रामा 4
अशआर 6
मैं ने चाहा था कि लफ़्ज़ों में छुपा लूँ ख़ुद को
ख़ामुशी लफ़्ज़ की दीवार गिरा देती है
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
शाम ने बर्फ़ पहन रक्खी थी रौशनियाँ भी ठंडी थीं
मैं इस ठंडक से घबरा कर अपनी आग में जलने लगा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
बंद कर ले खिड़कियाँ यूँ रात को बाहर न देख
डूबती आँखों से अपने शहर का मंज़र न देख
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
तमाम उम्र नए लफ़्ज़ की तलाश रही
किताब-ए-दर्द का मज़मूँ था पाएमाल ऐसा
-
शेयर कीजिए
- ग़ज़ल देखिए
ग़ज़ल 31
नज़्म 1
पुस्तकें 541
वीडियो 25
This video is playing from YouTubeवीडियो का सेक्शन
शायर अपना कलाम पढ़ते हुए
Professor Shamim Hanfi was born on 17th May 1939 in Sultanpur, Uttar Pradesh to a renowned advocate Mohd. Yaseen Siddiqui. Early life was spent in Sultanpur but had to move to Allahabad for study purpose where he came in contact with Firaq Sb who left a profound impression upon him. He had served as a faculty for Aligarh Muslim University before Joining Jamia Millia Islamia. He is now Professor Emeritus at the same University. He is reciting his Ghazal at Rekhta Studio. शमीम हनफ़ी
ऑडियो 20
अब क़ैस है कोई न कोई आबला-पा है
आना उसी का बज़्म से जाना उसी का है
इस तरह इश्क़ में बर्बाद नहीं रह सकते
join rekhta family!
Jashn-e-Rekhta 10th Edition | 5-6-7 December Get Tickets Here
-
गतिविधियाँ49
बाल-साहित्य2062
-
